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श्री नारायण राणे द्वारा एमएसएमई सतत (जेडईडी) प्रमाणन योजना की हुई शुरुवात

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे ने आज एमएसएमई सतत (जेडईडी) प्रमाणन योजना का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जेडईडी में एक राष्ट्रीय आंदोलन बनने की क्षमता है और इसका उद्देश्य भारत के एमएसएमई के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा की एक कार्ययोजना (रोडमैप) प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि जेडईडी न केवल उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार करने का प्रयास करेगा, बल्कि इसमें निर्माताओं की मानसिकता को बदलने और उन्हें पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक बनाने की क्षमता है।

यह योजना एमएसएमई को शून्य दोष शून्य प्रभाव (जेडईडी) अभ्यासों को अपनाने और उन्हें एमएसएमई चैंपियन बनने के लिए प्रोत्साहित करते हुए जेडईडी प्रमाणन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक अभियान है। जेडईडी प्रमाणन हासिल करके एमएसएमई काफी हद तक अपव्यय को कम कर सकते हैं, उत्पादकता बढ़ा सकते हैं, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा सकते हैं, ऊर्जा बचा सकते हैं, प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग कर सकते हैं और अपने बाजारों का विस्तार कर सकते हैं।

योजना के तहत, एमएसएमई को जेडईडी प्रमाणीकरण की लागत पर निम्नलिखित संरचना के अनुसार सब्सिडी मिलेगी:

सूक्ष्म उद्यम: 80%
लघु उद्यम: 60%
मध्यम उद्यम: 50%

महिला / एससी / एसटी द्वारा चलाए जा रहे एमएसएमई या एनईआर / हिमालयी क्षेत्र / एलडब्ल्यूई /द्वीप क्षेत्रों / आकांक्षी जिलों में चल रहे एमएसएमई को 10% की अतिरिक्त छूट मिलेगी। उपरोक्त के अलावा, वैसे एमएसएमई के लिए 5% की अतिरिक्त छूट मिलेगी जो मंत्रालय के एसएफयूआरटीआई यानी स्फूर्ति या सूक्ष्म और लघु उद्यम – क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई – सीडीपी) का भी हिस्सा हैं। इसके अलावा, जेडईडी का संकल्प लेने वाले प्रत्येक एमएसएमई को इसमें शामिल होने के लिए बतौर ईनाम 10 हजार रुपये की पेशकश की जाएगी।

जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट समाधान की ओर बढ़ने में मदद करने के लिए जेडईडी प्रमाणन के तहत एमएसएमई के लिए हैंडहोल्डिंग और कंसल्टेंसी मदद के लिए 5 लाख रुपये (प्रति एमएसएमई) उपलब्ध कराए जाएंगे। एमएसएमई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, वित्तीय संस्थानों आदि द्वारा जेडईडी प्रमाणन के लिए दिए जाने वाले कई अन्य प्रोत्साहनों का भी लाभ उठा सकते हैं और एमएसएमई कवच (कोविड-19 मदद) पहल के तहत मुफ्त जेडईडी प्रमाणन के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।

श्री राणे, एमएसएमई राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप और मंत्रालय के अधिकारियों ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए नीति, पदोन्नति और योजना पर उच्च तालमेल और समन्वय के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों और अधिकारियों के साथ बातचीत की।

श्री राणे ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए गए सराहनीय प्रयासों की सराहना की क्योंकि वे एमएसएमई के विकास के सामान्य लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने क्षेत्र में एमएसएमई के लिए विभिन्न कार्यक्रम और नीतियां तैयार करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि “अपनी पहुंच बढ़ाने और उद्यमिता के विकास को तेज करने के लिए रणनीतिक रोडमैप विकसित करना अनिवार्य है।”

इस बातचीत में ज्ञान साझा करने, नवीन विचारों/सूचनाओं के आदान-प्रदान, देश भर में एमएसएमई के लाभ के लिए सफलता की कहानियों/सर्वोत्तम अभ्यासों के प्रसार के साथ ही राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सामने आने वाले मुद्दों का हल निकालने पर भी विचार किया गया।

सत्र के दौरान, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने सामने आ रही चुनौतियों, आवश्यक सहायता और एक-दूसरे से सीखने के लिए विचारों/सफलता की कहानियों के प्रसार, राज्य के हस्तक्षेप की पहुंच को बढ़ाने के प्रयासों, राज्य के उत्पादन में तेजी लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का अधिक प्रभावी ढंग से लाभ उठाने पर प्रकाश डाला।

एमएसएमई मंत्रालय सभी क्षेत्रों और राज्यों में एमएसएमई को बढ़ावा देने, विकसित करने और उनकी देखभाल करने का कार्य करता है। यह मंत्रालय 20 से अधिक विभिन्न योजनाएं चलाता है। इनमें पीएमईजीपी, एसएफयूआरटीआई, एमएसई-सीडीपी, आरएएमपी योजना, एटीआई, उद्यम पंजीकरण आदि योजनाएं शामिल हैं जो वित्त तक पहुंच, बाजार संपर्क, प्रौद्योगिकी उन्नयन, क्षमता निर्माण, नवाचार / विचार और औद्योगिक बुनियादी ढांचे का विकास आदि क्षेत्रों में मदद करती हैं।

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